लेखनी कविता - छोटा-सा बीज - बालस्वरूप राही
छोटा-सा बीज / बालस्वरूप राही
बीज एक छोटा-सा बोया,
कितना बड़ा पेड़ उग आया,
हरी पट्टियों, फूल, टहनियों
ने कर दी आँगन में छाया।
छोटा बहुत बीज, पर उस में
जाने कितने भेद समाए,
सोच-सोच कर हम चकराए,
लेकिन फिर भी समझ न पाए।